यह अकेला चांद, क्यों फिरता है मारा मारा, सच में है तन्हा, या यह भी दिल हारा? अंधेरी रात का, सीने में दर्द समेटे फिरता है, सुबह को खोकर, शाम को आता दोबारा,, बेचारा चांद, क्यों फिरता है मारा मारा,,,, शुभरात्रि लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳