वो नदीश कहलाते मगर व्यथा नदियों की क्या जानें सुखा देते हैं उनको अपनी हवस की आग में न बच पाते उनके अश्क़ों से कुटिलता का परिणाम पाते पथिक भी तृष्णा से गुजरता ये दूषित हो अंज़ाम पाते #नदीश