जो कहना चाहा तो अल्फ़ाज़ भी कम निकले तेरी मेहफ़िल में बहोत तेरे ही सनम निकले पर्दा है फ़िर भी नज़रों से कर दिया घायल इन्हिं अदाओं पे तोे आशिक़ों के दम निकले मेरे कतिल को तो सज़ा हो न सकी जब खुद के ही कातिल खुद हम निकले गज़लों का चर्चा सरे बाज़ार था हाथों पे लेकर जब हम कलम निकले लिखने को तो शेर लिख दिया "शब्बीर" मगर शायर गालिब से बहोत कम निकले #DilBechara #DesertWalk #Contest #shayari #udrushayari #urdupost #Best #Shayari #Shayar #writer