क्या तुम्हे पता भी है, तुम्हे याद करना मेरी आदत बन गयी है... हाँ, थोडी बुरी है पता है, पर क्या करे मेरी मजबुरी बन गई है.. हजार बार सोचती हुँ, तुम्हे याद ना करू पर, ऊसमे भी तुम्हारी याद ही है... My_Words✍✍ khushvinder dahiya ✍️Mr Sachin Ahir✍️