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तनहाइयों के आलम में, हाथ हमारा ढूँढता रहा किसी अपन

तनहाइयों के आलम में,
हाथ हमारा ढूँढता रहा
किसी अपने का साथ;
कई बार फिसलकर गिरने से
शायद बचा लेता वो,
कभी पोंछकर गीले नयन,
राह भटकने से संभाल लेता वो। #साथ #हाथ #प्यार #प्रेम #चाह #चाहत
तनहाइयों के आलम में,
हाथ हमारा ढूँढता रहा
किसी अपने का साथ;
कई बार फिसलकर गिरने से
शायद बचा लेता वो,
कभी पोंछकर गीले नयन,
राह भटकने से संभाल लेता वो। #साथ #हाथ #प्यार #प्रेम #चाह #चाहत