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राहें हजार राहें मुड़ के देखी कहीं से कोई सदा ना आ

राहें हजार राहें मुड़ के देखी कहीं से कोई सदा ना आई
बड़ी वफा से निभाई तुमने हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
जहां से तुम मोड़ मुड़ गए थे यह मोड अब भी वहीं पड़े हैं 
हम अपने पैरों में जाने कितने भवर लपेटे हुए खड़े हैं 
कहीं किसी रोज यू भी होता हमारी हालत तुम्हारी होती 
जो रातें हमने गुजारी मर के वह रातें तुमने गुजारी होती
तुम्हें यह जिद थी कि हम बुलाते हमें ये उम्मीद वो पुकारे 
है नाम होठों पर अभी लेकिन आवाज में पड़ गई दरारें #हजार_राहें_मुड़_के_देखी
राहें हजार राहें मुड़ के देखी कहीं से कोई सदा ना आई
बड़ी वफा से निभाई तुमने हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
जहां से तुम मोड़ मुड़ गए थे यह मोड अब भी वहीं पड़े हैं 
हम अपने पैरों में जाने कितने भवर लपेटे हुए खड़े हैं 
कहीं किसी रोज यू भी होता हमारी हालत तुम्हारी होती 
जो रातें हमने गुजारी मर के वह रातें तुमने गुजारी होती
तुम्हें यह जिद थी कि हम बुलाते हमें ये उम्मीद वो पुकारे 
है नाम होठों पर अभी लेकिन आवाज में पड़ गई दरारें #हजार_राहें_मुड़_के_देखी