पैदा किया किसी ने , दिया किसी ने संस्कार चलना सिखाया किसी ने ,किया किसी ने खूब दुलार साथ निभाया आपने ,जब था मैं निराधार हाथ बढ़ाकर आपने , थाम लिया मेरी जिन्दगी का पतवार मुझ पर रहेगा कर्ज , जिंदगी भर ये उधार कैसे निभाउंगा , कैसे चुकाऊंगा किया जो आपने मुझ पर ये उपकार सिर झुकाकर करता हूँ , हृदय से आपका आभार भारत की नारी अत्याचार है जारी फिर भी तूने हमें संभाला हम तेरे आभारी 🙏🙏 *HAPPY WOMENS DAY*🙏🙏 रमाकान्त श्रीवास कोरबा