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प्रिय सुमित, मेरी दो किताबों में दो सुमित का आना D

प्रिय सुमित,
मेरी दो किताबों में दो सुमित का आना Dedicating a #testimonial to सुमित ओझा
प्रिय सुमित,
मैं जब भी कोई किताब लिखता हूं, अपने पात्रों के नामों का चयनकर्ते समय मेरे मन में एक विशेष विधा चुनाव करती है, वे लोग जो मेरे मन को छू कर गुजरते हैं,  वही चरित्र मेरी किताब के पात्रों में नाम पाते हैं।
संजीवनी का सुमित एक patient है haomophillia का, उसे सुमित नाम देते समय मुझे उस सुमित की याद रही जो मेरे कहने पर अनेकों बार ब्लड डोनेट करने गया, मज़े कि बात ये रही कि हम आमने सामने 4साल बाद मिले, दस बीस सौ दो सौ नहीं, हजारों लोग जिनसे मेरा परिचय मात्र फोन के माध्यम से रहा, ये सब लोग ब्लड डोनेट करने चले जाते, अपने खर्चे पर।
मैंने बहुत बार जननाचाहा कि ये सब लोग मुझ पर इतना विश्वास क्यों करते हैं
उत्तर होता ... पता नहीं।
खैर अब तो वो सब इतिहास हुआ, मगर कुछ नाम ऐसे हैं जिन नामों से
मेरा आत्मिक जुड़ाव है...सुमित भी उन्हीं में से एक है।
प्रिय सुमित,
मेरी दो किताबों में दो सुमित का आना Dedicating a #testimonial to सुमित ओझा
प्रिय सुमित,
मैं जब भी कोई किताब लिखता हूं, अपने पात्रों के नामों का चयनकर्ते समय मेरे मन में एक विशेष विधा चुनाव करती है, वे लोग जो मेरे मन को छू कर गुजरते हैं,  वही चरित्र मेरी किताब के पात्रों में नाम पाते हैं।
संजीवनी का सुमित एक patient है haomophillia का, उसे सुमित नाम देते समय मुझे उस सुमित की याद रही जो मेरे कहने पर अनेकों बार ब्लड डोनेट करने गया, मज़े कि बात ये रही कि हम आमने सामने 4साल बाद मिले, दस बीस सौ दो सौ नहीं, हजारों लोग जिनसे मेरा परिचय मात्र फोन के माध्यम से रहा, ये सब लोग ब्लड डोनेट करने चले जाते, अपने खर्चे पर।
मैंने बहुत बार जननाचाहा कि ये सब लोग मुझ पर इतना विश्वास क्यों करते हैं
उत्तर होता ... पता नहीं।
खैर अब तो वो सब इतिहास हुआ, मगर कुछ नाम ऐसे हैं जिन नामों से
मेरा आत्मिक जुड़ाव है...सुमित भी उन्हीं में से एक है।