वक़्त और दौर का फरेब अच्छा था, वो मुकर गए प्यार से उधर,मगर अपना तो सच्चा था। इस कदर चाहा उसको, की दुनिया नज़र ना आई, ज़िन्दा रहा क्योंकि कम्बख़त मौत ने भी कर दी थी बेवफाई। दिल तो तेरे यादों में रोज़ लम्हे गुजारा करता। ये सोच कर कि अब भी है तू, इस दिल को संभाला करता। हमने सालों गुजारे साहब मगर कभी उनको समझ ना पाए, उम्मीद-ए-राह में ज़िन्दगी न भरी कि शायद वो लौट कर आए। क्या पता ये वक़्त और क्या क्या दौर दिखाएगी, वो आए! ना आ पाए! मगर चलो अब मौत तो जरूर आएगी। फिर उम्मीद रखे एक और दफा लौटकर है हमे आना, रास्तों पर टकरा कर, दिल ए फसाद है बस सुलझाना, ग़लत वो नहीं शायद, गलत वक़्त की करिस्तनी होगी। तुम हो तो हम हो वरना तो ख़ाख ही जिंदगानी होगी। बस वक़्त और दौर का फरेब अच्छा था, वो मुकर गई प्यार से उधर मगर अपना तो आज भी सच्चा था। #sheshank© #footprints #ज़िन्दा #lov #SAD #hurt #Broken #sheshank