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राहें ना जाने कितने राहगीर रोज गुजरते हैं बिना थके

राहें ना जाने कितने राहगीर रोज गुजरते हैं
बिना थके सब सहती है राहें।
जिनपर चले सभी वीर बारी बारी
संजोए रहती हैं गाथाएं सारी की सारी।। राहें
राहें ना जाने कितने राहगीर रोज गुजरते हैं
बिना थके सब सहती है राहें।
जिनपर चले सभी वीर बारी बारी
संजोए रहती हैं गाथाएं सारी की सारी।। राहें
shashibala1479

shashi bala

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राहें #कविता