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रेशम ये जो रेशम की महीन , संगमरमरी डोर है न , ये क

रेशम
ये जो रेशम की महीन ,
संगमरमरी डोर है न ,
ये किसी की साँसों की
घुटन से बुना तानाबाना है ,
ये जो झक सफ़ाक़ सा 
महीन तानाबाना है न ,
ये बुनकर की सांसो 
की माला है , याद रहे ,
एक-एक साँस को 
लपेटा है कफ़न की तरह ,
बदलने खुद के वजूद को,
फ़ना होना पड़ता है ,
कुछ यूं ही है जिंदगी 
का फ़लसफ़ा । #रेशम
ये जो रेशम की #महीन ,
#संगमरमरी #डोर है न ,
ये किसी की #साँसों की
#घुटन से #बुना #तानाबाना है ,
ये जो झक #सफ़ाक़ सा 
महीन #तानाबाना है न ,
ये #बुनकर की #सांसो
रेशम
ये जो रेशम की महीन ,
संगमरमरी डोर है न ,
ये किसी की साँसों की
घुटन से बुना तानाबाना है ,
ये जो झक सफ़ाक़ सा 
महीन तानाबाना है न ,
ये बुनकर की सांसो 
की माला है , याद रहे ,
एक-एक साँस को 
लपेटा है कफ़न की तरह ,
बदलने खुद के वजूद को,
फ़ना होना पड़ता है ,
कुछ यूं ही है जिंदगी 
का फ़लसफ़ा । #रेशम
ये जो रेशम की #महीन ,
#संगमरमरी #डोर है न ,
ये किसी की #साँसों की
#घुटन से #बुना #तानाबाना है ,
ये जो झक #सफ़ाक़ सा 
महीन #तानाबाना है न ,
ये #बुनकर की #सांसो