"पेचीदगियों में उलझा के कानून की तू कितने दिन बचेगा मौत से?
मर तो गया था तेरा इंसान उसी दिन ,अब तो डर जा खुदा के खौफ से
हैवानियत के टीलों को तू बेगैरत हाथों से छू चुका है,
मुलतवी करवा के भी सज़ा क्या हुआ नंगा तो तू पूरी दुनिया के सामने हो चुका है।
कानून की जकड़न ने रोका है नहीं तो जीने का तुझे हक नहीं,
मां तेरे दामन में आंसू ना होते जो कानून हो पाता थोड़ा सख्त कहीं ....."