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खेलत खात सुबह निकल गई दोपहर यौवन गर्वित ढल गई साँ

खेलत खात सुबह निकल गई 
दोपहर यौवन गर्वित ढल गई
साँझ भयी अब तो चेत रे बंदे
रात भी कहीं निकल न जावे
0
लाख कोशिश कर फिर
प्रकृति अपना नियम न टाले
देख मेला जगत का हँसत गात
सुमिर नाम हरि भजन कर
मानव जनम फिर मिले या न मिले
राग द्वेष के द्वंद्वों में इसको न तू व्यर्थ गँवाना




                                  कुसुम शर्मा भावार्थ:- दिन के चार पहरों सुबह दोपहर शाम एवं रात को मानव जीवन के विभिन्न अवस्थाओं से निरूपित करते हुए कवयित्री सुश्री कुसुम शर्मा ने पाठकों को धर्मोनुकल व्यवहार करने की सलाह देते हुए यह चेतावनी भी दी है कि भोग के राग में ईश्वर को मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि अंततः मुक्ति का मार्ग तो मृत्यु हीं है। #kavita #poem #hindipoem #ctk #nojotohindi #nojotopoem
खेलत खात सुबह निकल गई 
दोपहर यौवन गर्वित ढल गई
साँझ भयी अब तो चेत रे बंदे
रात भी कहीं निकल न जावे
0
लाख कोशिश कर फिर
प्रकृति अपना नियम न टाले
देख मेला जगत का हँसत गात
सुमिर नाम हरि भजन कर
मानव जनम फिर मिले या न मिले
राग द्वेष के द्वंद्वों में इसको न तू व्यर्थ गँवाना




                                  कुसुम शर्मा भावार्थ:- दिन के चार पहरों सुबह दोपहर शाम एवं रात को मानव जीवन के विभिन्न अवस्थाओं से निरूपित करते हुए कवयित्री सुश्री कुसुम शर्मा ने पाठकों को धर्मोनुकल व्यवहार करने की सलाह देते हुए यह चेतावनी भी दी है कि भोग के राग में ईश्वर को मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि अंततः मुक्ति का मार्ग तो मृत्यु हीं है। #kavita #poem #hindipoem #ctk #nojotohindi #nojotopoem

भावार्थ:- दिन के चार पहरों सुबह दोपहर शाम एवं रात को मानव जीवन के विभिन्न अवस्थाओं से निरूपित करते हुए कवयित्री सुश्री कुसुम शर्मा ने पाठकों को धर्मोनुकल व्यवहार करने की सलाह देते हुए यह चेतावनी भी दी है कि भोग के राग में ईश्वर को मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि अंततः मुक्ति का मार्ग तो मृत्यु हीं है। #kavita #poem #HindiPoem #ctk #nojotohindi #nojotopoem