Nojoto: Largest Storytelling Platform

कमबख्त नींद खुली भी तो उसके खोने के डर से ही कहीं

कमबख्त नींद खुली भी तो उसके खोने के डर से ही कहीं खो ना दूँ,,
इक ख्वाब आया
अब फिर आ जा ऐ
नींद वो तो अपना रहा ही नहीं
कमबख्त नींद खुली भी तो उसके खोने के डर से ही कहीं खो ना दूँ,,
इक ख्वाब आया
अब फिर आ जा ऐ
नींद वो तो अपना रहा ही नहीं