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ई हौ रजा बनारस देखा आसमान पर छायल हौ केसरिया केसरि

ई हौ रजा बनारस देखा
आसमान पर छायल हौ
केसरिया केसरिया सूरज
मन अंगने में में आयल हौ
कोई छते पे कोई दलाने
कोई पार्क कोई मैदाने में
अपन अपन गुड्डी लेके
सब गजबे इतरायल हौ
सद्धी, डोरी, चौउआ देखा
अंटा, मांझा धार धरायल हौ
लड़कन बच्चन छोटकन बड़कन
सबकर मन उतरायल हौ
बंसी क छोटका लड़का भी
अपन पतंग लियायल हौ
ढील के दा बाबा हमहुंके
देखा कईसन जीदियायल हौ
मन्दिर मस्जिद के छत से
केतना पतंग ढीलायल हौ
पूजा अउर प्रार्थना क रंग
उमंग डोर बन्धायल हौ
धरती क सब मसला देखा
आसमान तक आयल हौ

(बाकी कविता  caption में पढ़ें)






 ई हौ रजा बनारस देखा
आसमान पर छायल हौ।
केसरिया केसरिया सूरज
मन अंगने में आयल हौ।
कोई छते पे कोई दलाने
कोई पार्क कोई मैदाने में
अपन अपन गुड्डी लेके
सब गजबे इतरायल हौ।
ई हौ रजा बनारस देखा
आसमान पर छायल हौ
केसरिया केसरिया सूरज
मन अंगने में में आयल हौ
कोई छते पे कोई दलाने
कोई पार्क कोई मैदाने में
अपन अपन गुड्डी लेके
सब गजबे इतरायल हौ
सद्धी, डोरी, चौउआ देखा
अंटा, मांझा धार धरायल हौ
लड़कन बच्चन छोटकन बड़कन
सबकर मन उतरायल हौ
बंसी क छोटका लड़का भी
अपन पतंग लियायल हौ
ढील के दा बाबा हमहुंके
देखा कईसन जीदियायल हौ
मन्दिर मस्जिद के छत से
केतना पतंग ढीलायल हौ
पूजा अउर प्रार्थना क रंग
उमंग डोर बन्धायल हौ
धरती क सब मसला देखा
आसमान तक आयल हौ

(बाकी कविता  caption में पढ़ें)






 ई हौ रजा बनारस देखा
आसमान पर छायल हौ।
केसरिया केसरिया सूरज
मन अंगने में आयल हौ।
कोई छते पे कोई दलाने
कोई पार्क कोई मैदाने में
अपन अपन गुड्डी लेके
सब गजबे इतरायल हौ।