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ख़ाब थे बेलज़्ज़त तभी ताबीर-ऐ-गम थे। ताबीर-ऐ-ख़ाब मे

ख़ाब थे बेलज़्ज़त तभी ताबीर-ऐ-गम थे।
  ताबीर-ऐ-ख़ाब में जो लज़्ज़त होती।
  तो शब-ऐ-गम का क्या जौक होता। #nojotowriters.
ताबीर-ऐ-ग़म-दुख का बयाँ।(interpretation of grief).
ताबीर-ऐ-ख़ाब-सपने का बयाँ(interpretation of dream).
शब-ऐ-गम-दुख की रात ।(night of sorrow).
जौक-समूह(group).
बेलज़्ज़त-नीरस,फीका।(without taste)
लज़्ज़त-ज़ायका, स्वाद(tasty)
मेरे सपने ही नीरस थे तभी तो दुख बयाँ करना पड़ा।
ख़ाब थे बेलज़्ज़त तभी ताबीर-ऐ-गम थे।
  ताबीर-ऐ-ख़ाब में जो लज़्ज़त होती।
  तो शब-ऐ-गम का क्या जौक होता। #nojotowriters.
ताबीर-ऐ-ग़म-दुख का बयाँ।(interpretation of grief).
ताबीर-ऐ-ख़ाब-सपने का बयाँ(interpretation of dream).
शब-ऐ-गम-दुख की रात ।(night of sorrow).
जौक-समूह(group).
बेलज़्ज़त-नीरस,फीका।(without taste)
लज़्ज़त-ज़ायका, स्वाद(tasty)
मेरे सपने ही नीरस थे तभी तो दुख बयाँ करना पड़ा।
vivekshahi1190

Vivek Shahi

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