अपने अल्फ़ाज को लिखकर मे, हर बार तुझे पढता हूँ, मेरे हर लफ्ज मे तेरा ज्रिक हैं, कुछ जानने की चाहत है पर ये कहने को जी नहीं चाहता, सोचता हूँ कि तु खुद ही समझ जाए, किसी दिन पर वो दिन तलक, हमे क़यामत तक ना मिले #Muh_par_raunak