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पलकें बोझिल हो रही थीं मेरी उसके दिलासे की हर थपक

 पलकें 
बोझिल हो रही थीं मेरी
उसके दिलासे की हर
थपकी के साथ 

मेरे साथ मेरा शहर भी 
सोने चला था अब 
एक-एक कर
 पलकें 
बोझिल हो रही थीं मेरी
उसके दिलासे की हर
थपकी के साथ 

मेरे साथ मेरा शहर भी 
सोने चला था अब 
एक-एक कर

पलकें बोझिल हो रही थीं मेरी उसके दिलासे की हर थपकी के साथ मेरे साथ मेरा शहर भी सोने चला था अब एक-एक कर #Love #poem #hindipoetry #Ravikant #Raut