परेशान मेरा जूता जगह जगह से फट गया है धरती चुब रही है मैं रुक गया हूं। जूते से पूछता हूं- आगे क्यों नही चलते ? जूता जबाव देता है । मैं अब भी तैयार हूं यदि तुम चलो ! मैं चुप रह जाता हूं कैसे कहूँ की , मैं भी जगह जगह से फट गया हूं ।।। भावेश ।। #thoughts #poetry #love #sad #alone #pareshan