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आज भी दरवाजे से छुपकर देखती है हर रोज मुझे, ये ग

आज भी  दरवाजे से छुपकर
 देखती है हर रोज मुझे,
ये गाँव का इश्क़ है जनाब
शहर की नोटंकिया नही।। ## villagers love ##
आज भी  दरवाजे से छुपकर
 देखती है हर रोज मुझे,
ये गाँव का इश्क़ है जनाब
शहर की नोटंकिया नही।। ## villagers love ##
ankitpandya8427

Ankit pandya

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