मुसाफिर चलता मुसाफ़िर हूं.. अनजानी राहें है । मंज़िल का पता नहीं.. मेहनत पर निगाहें हैं । शोहरत का जुनून दिल से निकाल कर, चल पड़ा हूं अपना ही दामन थाम कर। लोग क्या कहेंगे उससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि लाखों मेरे संग मेरे मां-बाप की दुआएं हैं। चलता मुसाफ़िर हूं संग कुदरत की फिजाएं है। अनजानी राहें है..... मेहनत पर निगाहें हैं..... #मुसाफ़िर pooja negi#