सांस और धड़कन धड़कन रुक सी जाती हैं। सहसा सांसें अटक जाती हैं। करना चाहते थे पर्वत फतह मरते-मरते बचे हैं। जान हथेली पर लिए गए थे बच के जजर हुए लौटे हैं। लगा टूट गया सांसों का डोर। एहसास अंतर्मन को हुआ धड़कन अभी बची है। #सांसेंऔरधड़कन #Sanseaurdhadkan #poetry #poem #Aahat #Shayari