रूठना-मनाना कुछ जाले दिमाग में हम खुद बना लेते है ऱफ्ता ऱफ्ता उसमे उलझते चले जाते है -आकिब जावेद कुछ जाले दिमाग में हम खुद बना लेते है ऱफ्ता ऱफ्ता उसमे उलझते चले जाते है #akib #nojoto #poetry #today