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"कुछ तो लिखा होगा" स्वयं को पाने के लिए तुमने कुछ

"कुछ तो लिखा होगा"

स्वयं को पाने के लिए
तुमने कुछ तो लिखा होगा, 
उस बचपन को सजाने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा, 
कुछ बातें जो हुई संग,
कुछ बातें जो हो गई भंग, 
कुछ बातों के सुनहरे रंग, 
कुछ पर हुई हमारी जंग, 
उन दिनों के याराने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।
पावस की अठखेलियाँ, 
पाठशाला की तैयारियाँ, 
होली की रंगरलियाँ, 
दीवाली की फुलझड़ियाँ,
एक एक को चमकाने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।
गुज़रते रास्तों के पैरों, 
मिट्टी के घर और शहरों, 
तिरछे पत्थरों की नहरों, 
उन में बहती लहरों 
को उंगलियों से हिलाने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।
पतंगों की डोर को, 
तालाब के अंतिम छोर को, 
खेत के बाड़ों की कोर को, 
आवाज़ें आयी चारों ओर को,
झट से तोड़ने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।
बीते बचपन की हरकतें, 
जो आज भी हैं चाहतें, 
उन निशाओं में ठहरी राहतें, 
और उन दिनों की अभय रातें, 
जिनको फ़िर से चाहने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।

khetdan charan #quotes #poetry #shayari #funny #music #comedy #stories
"कुछ तो लिखा होगा"

स्वयं को पाने के लिए
तुमने कुछ तो लिखा होगा, 
उस बचपन को सजाने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा, 
कुछ बातें जो हुई संग,
कुछ बातें जो हो गई भंग, 
कुछ बातों के सुनहरे रंग, 
कुछ पर हुई हमारी जंग, 
उन दिनों के याराने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।
पावस की अठखेलियाँ, 
पाठशाला की तैयारियाँ, 
होली की रंगरलियाँ, 
दीवाली की फुलझड़ियाँ,
एक एक को चमकाने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।
गुज़रते रास्तों के पैरों, 
मिट्टी के घर और शहरों, 
तिरछे पत्थरों की नहरों, 
उन में बहती लहरों 
को उंगलियों से हिलाने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।
पतंगों की डोर को, 
तालाब के अंतिम छोर को, 
खेत के बाड़ों की कोर को, 
आवाज़ें आयी चारों ओर को,
झट से तोड़ने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।
बीते बचपन की हरकतें, 
जो आज भी हैं चाहतें, 
उन निशाओं में ठहरी राहतें, 
और उन दिनों की अभय रातें, 
जिनको फ़िर से चाहने, 
तुमने कुछ तो लिखा होगा।

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