कल तक थे दीवाने अब दिलजले कहलाएँगे, तेरी गलियों में हम फिर कभी न आएँगे । हमने तो की थी मोहब्बत, तुमसे दिल लगाने को, ये न सोचा था कि अपना ही दिल जलाएँगे । ये मोहब्बत शतरंज की बाजी तो न थी, मालूम न था हम को कि यूँ हार जाएँगे । -आशीष कुमार