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काश!! ये हो सकता सामने जो नदी बह रही है ना!!! उस

काश!! ये हो सकता 

सामने जो नदी बह रही है ना!!!
उसके दो पाटों जैसे थे हम...

एक तरफ़ तू बैठी रहती थी दूसरी तरफ़ मैं । 
हम दोनों के पैर घुटनों तक पानी में डूबे होते थे । 
दोनों पाटों बीच इतनी दूरी होती थी कि घोर नीरवता के बावजूद हमारी आवाज़ें साफ साफ हमारे कानों को सुनाई नहीं देती थीं ।

काश!! ये हो सकता सामने जो नदी बह रही है ना!!! उसके दो पाटों जैसे थे हम... एक तरफ़ तू बैठी रहती थी दूसरी तरफ़ मैं । हम दोनों के पैर घुटनों तक पानी में डूबे होते थे । दोनों पाटों बीच इतनी दूरी होती थी कि घोर नीरवता के बावजूद हमारी आवाज़ें साफ साफ हमारे कानों को सुनाई नहीं देती थीं ।

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