कुछ बात है तुममें तुम औरों जैसे नहीं हो,
यूं मेरे गैर होकर भी तुम गैरों जैसे नहीं हो।
बरसों से सूखे होंठों पर तुमने खिलखिलाहट कर रंग सजा दिए,
कुछ बात है तुम्हारे मेरी जिंदगी में भरे रंगों में,
ये रंग और रंगों जैसे नहीं हैं।
तुम्हारी बातें जो सुनती हूं सुनती ही रह जाती हूं,
एक तुम्हारी प्रेम की राह में ना जाने किन
किन राहों पर भटक आती हूं।