हम तेरा प्यार पाएं ऐसी क़िस्मत कहां, हम तेरे दिल को भाएं ऐसी क़िस्मत कहां। ग़ैर ही काफ़ी हैं तेरी महफ़िले लुत्फ़ को, हम तेरी महफ़िल में आएं ऐसी क़िस्मत कहां। वक़्त के झोकों ने तुझे दूर तो कर दिया, अब तुझको क़रीब लाएं ऐसी क़िस्मत कहां। तू रास्तों में पत्थर के टुकड़े बिखेरे जाए, हम उनसे ठोकर ना खाएं ऐसी क़िस्मत कहां। बिना सितम ढाए मेरी ज़िन्दगी पर दोस्त, ग़मे साए गुज़र जाएं ऐसी क़िस्मत कहां। ग़मे दरिया में सिसकती हैं मेरी आरज़ू, उन पर बहार छाएं ऐसी क़िस्मत कहां। pragati