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"लिखना तो बहुत कुछ चाहता था, मगर लिखा नहीं गया । त

"लिखना तो बहुत कुछ चाहता था, मगर लिखा नहीं गया ।
तुझसे दुर होने का गम , मुझसे इस कदर सहा नही गया।
कि लोग इस गम में अपनी सांसे रोक दिया करते है , पर मुझ पत्थर दिल से ये कमजोर काम किया नही गया।
अब किस कदर दुनिया से अलग समझू अपने आप को , मुझसे इस भीड़ में , भीड़ की तरह जीया नही गया।
सुन
में पहले भी हंसता रहता था और आज भी हंसता हु ओर हमेशा हंसता रहूंगा , क्योकि मुझसे तेरी ये बेवफाई का गम "तन्हाई के जामों " की तरह पीया नही गया 
शायद, 
इसलिए लगता है लिखना तो बहुत कुछ चाहता था , मगर लिखा नही गया ।
#कोशिश!
"लिखना तो बहुत कुछ चाहता था, मगर लिखा नहीं गया ।
तुझसे दुर होने का गम , मुझसे इस कदर सहा नही गया।
कि लोग इस गम में अपनी सांसे रोक दिया करते है , पर मुझ पत्थर दिल से ये कमजोर काम किया नही गया।
अब किस कदर दुनिया से अलग समझू अपने आप को , मुझसे इस भीड़ में , भीड़ की तरह जीया नही गया।
सुन
में पहले भी हंसता रहता था और आज भी हंसता हु ओर हमेशा हंसता रहूंगा , क्योकि मुझसे तेरी ये बेवफाई का गम "तन्हाई के जामों " की तरह पीया नही गया 
शायद, 
इसलिए लगता है लिखना तो बहुत कुछ चाहता था , मगर लिखा नही गया ।
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