है जितना शांत समंदर बैठा उतनी ही गहराई है राज छिपाए बैठा है कुछ कोई तो बात छिपाई है डालो कोई कंकड ना तुम जिससे चुप्पी तोड़े वो शांत अवस्था को अपनी व्यर्थ भला ना छोड़े वो दीन नहीं ना दुर्बल है वो इतना पहले जानो तुम उसके बल की परिभाषा को खुद से ही पहचानो तुम फ़िर भी यदि तुम समझ ना पाओ लहरों का तूफां आएगा रूप सुनामी धरा यदि तो सब कुछ ही मिट जाएगा अरे अहंकार को छोड़ो अपने जाकर उसको नमन करो सम्मान को उसके छेड़ा है तो क्षमा याचना जतन करो परोपकार की उसकी उत्तम छाया को अपनाओ तुम खुद भी सुख से जीवन काटो औरों को कटवाओ तुम शांत व्यक्ति के मन की भाषा पढ़ ना कभी तुम पाओगे त्यागों का उपहास करोगे अपने पतन को ही लिख जाओगे व्याकुल जन के अंतर्मन् की गहराई का सम्मान करो नाप कभी नहीं पाओगे तुम घुसकर मत स्नान करो ॥ हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा #Life #सच्चाई #writtenbyme #NeverUnderestimate