मेरा चांद भी तुम और चांदनी भी मैं बस तेरा नजारा देखता हूं मेरी जान भी तुम और जहान भी मैं तो बस तेरा दीवाना लगता हूं मेरी शान भी तुम और गुमान भी तुझको मैं खुद में सजाए रखता हूं मेरा मर्ज भी तू और दवा भी ऐसा मैं तुझ को बनाए रखता हूं मेरा राज भी तू और आवाज भी इस दिल में मैं तुझको बसाए रखता हूं कवित्री-साक्षी देवलिया ©kavi abhiraj #ThinkingMoon