#OpenPoetry "किताबे खो गयी हैं" किताबे खो गयी हैं शिक्षा अब व्यापारिक हो गयी है, विज्ञापन की ओढ़नी ओढ़ के बैठी है ज्ञान की देवी, शिक्षा बड़े-बड़े इमारतों में बस कही ग़ुम हो गयी है...!! धरातल पे बैठ पढ़ने वाले अब कहा रहे, जो बचे हैं उनके शिक्षक तो विद्यालयों में ही सो रहे, पढ़ने वाले छात्र वहा के बन मजदूर बोझ ही ढ़ोह रहे...!! पैसा ही आज शिक्षा का बन गया आधार है, बिन पैसा ज़हीन विद्यार्थी की विद्या निराधार है...!! सरकारे भी बढ़ा रही विद्या का व्यापार हैं, छात्रों में खो गया अब सदाचार है, आँख दिखाए शिक्षक जो सुधारने के लिए, नालिश हो जाता उसके नाम का इश्तिहार है, किताबे हो गयी अब व्यापार है....!! -©Saurabh Yadav...✍️ #OpenPoetry #education #system #poem #sydiary