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कुछ इस तरह से रची उसने मैरे क़त्ल की शाजिश, मुझे

कुछ इस तरह से रची उसने मैरे क़त्ल की शाजिश, 

मुझे नींद मे चलने की आदत थी और उसने मुझे छत पर सुला दिया !.............. 

शायर Rmk एक दर्द ऐसा भी
कुछ इस तरह से रची उसने मैरे क़त्ल की शाजिश, 

मुझे नींद मे चलने की आदत थी और उसने मुझे छत पर सुला दिया !.............. 

शायर Rmk एक दर्द ऐसा भी

एक दर्द ऐसा भी