Nojoto: Largest Storytelling Platform

बिछिया  अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बच

 बिछिया 


अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बचपन से हीं अनिमेश के पिताजी ने ये उसे ये शिक्षा प्रदान कर रखी थी कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक आदमी का योग्य होना बहुत जरुरी है। अनिमेश अपने पिता की सिखाई हुई बात का बड़ा सम्मान करता था । उसकी दैनिक दिनचर्या किताबों से शुरू होकर किताबों पे हीं बंद होती थी । हालाँकि खेलने कूदने में भी अच्छा था। 


नवम्बर का महिना चल रहा था। आठवीं कक्षा की परीक्षा दिसम्बर में होने वाली थी। परीक्षा काफी नजदीक थी। अनिमेश अपनी किताबों में मशगुल था। ठण्ड पड़नी शुरू हो गयी थी।  वो रजाई में दुबक कर अपनी होने वाली वार्षिक परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इसी बीच उसकी माँ बाजार जा रही थी। अनिमेश की माँ ने उसको 2000 रूपये दिए और बाजार चली गयी । वो रूपये अनिमेश को अपने चाचाजी को देने थे। 
 बिछिया 


अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बचपन से हीं अनिमेश के पिताजी ने ये उसे ये शिक्षा प्रदान कर रखी थी कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक आदमी का योग्य होना बहुत जरुरी है। अनिमेश अपने पिता की सिखाई हुई बात का बड़ा सम्मान करता था । उसकी दैनिक दिनचर्या किताबों से शुरू होकर किताबों पे हीं बंद होती थी । हालाँकि खेलने कूदने में भी अच्छा था। 


नवम्बर का महिना चल रहा था। आठवीं कक्षा की परीक्षा दिसम्बर में होने वाली थी। परीक्षा काफी नजदीक थी। अनिमेश अपनी किताबों में मशगुल था। ठण्ड पड़नी शुरू हो गयी थी।  वो रजाई में दुबक कर अपनी होने वाली वार्षिक परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इसी बीच उसकी माँ बाजार जा रही थी। अनिमेश की माँ ने उसको 2000 रूपये दिए और बाजार चली गयी । वो रूपये अनिमेश को अपने चाचाजी को देने थे। 

बिछिया  अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बचपन से हीं अनिमेश के पिताजी ने ये उसे ये शिक्षा प्रदान कर रखी थी कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक आदमी का योग्य होना बहुत जरुरी है। अनिमेश अपने पिता की सिखाई हुई बात का बड़ा सम्मान करता था । उसकी दैनिक दिनचर्या किताबों से शुरू होकर किताबों पे हीं बंद होती थी । हालाँकि खेलने कूदने में भी अच्छा था।  नवम्बर का महिना चल रहा था। आठवीं कक्षा की परीक्षा दिसम्बर में होने वाली थी। परीक्षा काफी नजदीक थी। अनिमेश अपनी किताबों में मशगुल था। ठण्ड पड़नी शुरू हो गयी थी।  वो रजाई में दुबक कर अपनी होने वाली वार्षिक परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इसी बीच उसकी माँ बाजार जा रही थी। अनिमेश की माँ ने उसको 2000 रूपये दिए और बाजार चली गयी । वो रूपये अनिमेश को अपने चाचाजी को देने थे।