यूँ ही एक एक दबी हुई, खोयी हुई, उलझी हुई बातोंका इल्म होगा, तो मिलने लगेगा आकार रूह को जो महसूस होगा पानी की तरह पानी...! ठहरा हुआ, बहता हुआ, बरसता हुआ यकीन हो जाएगा के सब मुमकिन है. बस... कभी ख़ालीपन में "ख़ुद" से बात करो! Khaalipan part 4