#OpenPoetry अपने सफर का अकेला मुसाफिर मैं अभी बहुत चलना बाकी है कौन हु मैं मेरा वजूद क्या यह बात बस मेरी मां ही जानती है आज़ाद पंछी-कवि डॉ. रामावतार रैबारी मकवाना nishi ignatius इच्छा_से_आकांक्षा