#अपनी मस्ती में उठा तो पता चला क्या ये हुआ मै अभी था कहाँ,कहाँ आ गया मदभरी आँखे वो लबे नाज़ुक आरिज़े गुल वो अबरूए जाँना हाये क्या ये हुआ कहाँ खो गये दर्द के गीत की हवा है अभी दिल भटकता है यूँ रहे बेनिशाँ मन्ज़िले जुस्तजू में रात चले मौजे रह रवानी अन्दर तक गिरती जाती है बहती जाती है बस बहे जाती है लिए जाती है ख्वाहिशो के वो नीले सागर तक सोच गुम बे निशाँ ए आखिर तक फिर सुबह की सुफैदी फैली ख्वाब टूटे है रात बाकी है ख्वाब#बाकी है रात बाकी है