"एक चाँद हजारों तारों में भी झिलमिला कर चमता" हैं उसकी सुंदरता शीतलता भी पुरी गगन में छायी होती हैं तुम एक घटा ज्यों गर्मी में गदराई तुम चांदनी रात मेरे आंगन उतर आई तुम आकाश का गोरा गोरा चाँद तुम नदी का ठंडा ठंडा बाधँ तुम धरा कि गहरी गहरी वाँहे तुम आम की मजरीं गहरी राँहे तुम पहाड़ से उतरा नीला- सफेद झरना तुम चाँद डोरी से बंधा मेरा सपना। ©shudhanshu sharma #पुर्णिमा #चाँद Tanya Sharma (लम्हा) Parijat P