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तुम बहते पानी सा हो हर शक्ल में ढल जाते हो... मैं

तुम बहते पानी सा हो हर शक्ल में ढल जाते हो...
मैं रेत सा हूं मुझसे कच्चे घर भी नहीं बनते...!!
Risky Pandit breakup poetry's
तुम बहते पानी सा हो हर शक्ल में ढल जाते हो...
मैं रेत सा हूं मुझसे कच्चे घर भी नहीं बनते...!!
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