दूसरों की निजता और दुर्बलताओं को कुरेदने की उत्सुकता से बचकर स्वयं को समझने में किंचित श्रम किया जाय तो परिणाम मंगलमय होंगे।अतः स्वयं के अन्तकरण की शुचिता और पवित्रता के प्रति जागरूक रहें ।