ना बांध मुझे किसी बंधन में मुझे आसमान को छूना है मेरे अभी तो पर निकलेहैं, मेरा अभी सवेरा हुआ है नहीं रहना मुझे किसी कैद, किसी पिंजरे के चार दिवारी में, सब छोड़ के लग जाने दे, मुझे मेरी मंजिल पाने में मुझे मेरी मंजिल पाने में!! ना बांध मुझे किसी बंधन में....!!