कविता सी हो ज़िन्दगी कविता सा हो प्यार आरज़ू यह तमन्ना है दिल की पूरी हो जो कर लो तुम इकरार शचि नहीं हो मैं कहाँ कहता एक छाँव बनी हो हाँ मैं हूँ कहता तट के पास बैठे हम-तुम कर लेते अपना विस्तार अगर जो कर लो तुम इकरार चंचल हो गया मेरा यह मन हर लो तुम इसका विस्तार अपनी धड़कन में बंद करके मेरे उड़ने के सारे आसार काश ऐसा हो तब चैन मिले मौजों का मंजर रोज सजे हो जाएं सारे सपने साकार अगर जो कर लो तुम इकरार कविता सी हो ज़िन्दगी कविता सा हो प्यार आरज़ू यह तमन्ना है दिल की पूरी हो जो कर लो तुम इकरार शचि नहीं हो मैं कहाँ कहता एक छाँव बनी हो हाँ मैं हूँ कहता तट के पास बैठे हम-तुम कर लेते अपना विस्तार