”सत्य या भ्रम“ प्रचंड वेग से चलती हवाओं नें कुछ सवालों के थपेडों से मुझे झकझोर दिया, न जाने कहाँ जा रहा था मैं मुझे रोक दिया , वो सवालों का झोखा किसी युद्ध के शंखनाद सा मेरे कानों में गूँजता रहता है , के मेरा होना क्या है ? सत्य या भ्रम ? यथार्थ सत्य या पुर्णतः सत्य भ्रम ?