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सांझ - सबेरे सरोवर किनारे, वो पंछियों की कुह - कुह

सांझ - सबेरे सरोवर किनारे,
वो पंछियों की कुह - कुहार....
घर आंगन में गोबर लेह से,
बच्चों की खिल - खिलार....
भूल गए शहरी वासी,
वो बच्चपन के दिन....
मित रहे शहरी बच्चे,
अब आधूनीकता मे लिन....
नई सोच है यारों,
नई सोच दिखलाए,
शहरों की आदते त्याग कर,
चलो गावों की रित निभाए....
आवो फिर से गाँव बनाए....
 #NojotoQuote आवो फिर से गाँव बनाए....
सांझ - सबेरे सरोवर किनारे,
वो पंछियों की कुह - कुहार....
घर आंगन में गोबर लेह से,
बच्चों की खिल - खिलार....
भूल गए शहरी वासी,
वो बच्चपन के दिन....
मित रहे शहरी बच्चे,
अब आधूनीकता मे लिन....
नई सोच है यारों,
नई सोच दिखलाए,
शहरों की आदते त्याग कर,
चलो गावों की रित निभाए....
आवो फिर से गाँव बनाए....
 #NojotoQuote आवो फिर से गाँव बनाए....

आवो फिर से गाँव बनाए....