मोहब्बत की ज़माने में जो सज़ा देते हैं वो बस अपने ही होते जो रुला देते हैं जो देते हैं दुआएँ मेरी रौशन रहे दुनियाँ वही जन्मदिन पर मोमबत्ती बुझा देते हैं वो समझते हैं कि हम बेतरतीब नहीं उनको देख कर जो हम मुस्कुरा देते हैं इक रेल है जो गाँव में कभी ठहरी नहीं इक हम हैं जो रोज हाँथ हिला देते हैं ऐ लौट कर ना कभी फ़िर आने वाले तू क्या जाने तुझे कितनी हम सदा देते हैं किया इंतज़ार कितना पंछियों से पूँछो तेरे नाम से जो दाने उनको ख़िला देते हैं तेरी यादों को दिल से मिटाने की ख़ातिर डायरी का रोज इक पन्ना जला देते हैं यूँही नहीं है शायरी मेरी दूसरी मोहब्बत जो कह पाते नहीं लिखकर बता देते हैं ©Prakash Kumar सदा = आवाज़ . . . . #love #shayari #poetry #ghazal #pk4ever4u #life #sadShayari #darkness