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किस कदर गिर गया है आदमी, आदमी पर गिर गया है आदमी।

किस कदर गिर गया है आदमी,
आदमी पर गिर गया है आदमी।

है आदमी को आदमी से जरूरतें कई
कुछ जरूरतों पर गिर गया है आदमी 

उसकी फितरत है जो खोद रहा है गढ्ढा
उसी गढ्ढे में आकर गिर गया है आदमी।

चंद सिक्के उसकी जेब में खनक रहे
गिरा सिक्का पर गिर गया है आदमी।

थाम पल्लु जो सीखा था चलना कभी
सरका पल्लु पर गिर गया है आदमी।

ऊंचे महलों की उसकी ऊंची सीढ़ियां, 
आके सीढ़ियों पर गिर गया है आदमी।

चैन की तलाश में जिंदगी दौड़ता रहा, 
सच से हारकर गिर गया है आदमी। #InspireThroughWriting #hindiwriters #ghazal #tarunvijभारतीय #shayar #inspirational  Ashish Dwivedi Dr Ashish Vats
किस कदर गिर गया है आदमी,
आदमी पर गिर गया है आदमी।

है आदमी को आदमी से जरूरतें कई
कुछ जरूरतों पर गिर गया है आदमी 

उसकी फितरत है जो खोद रहा है गढ्ढा
उसी गढ्ढे में आकर गिर गया है आदमी।

चंद सिक्के उसकी जेब में खनक रहे
गिरा सिक्का पर गिर गया है आदमी।

थाम पल्लु जो सीखा था चलना कभी
सरका पल्लु पर गिर गया है आदमी।

ऊंचे महलों की उसकी ऊंची सीढ़ियां, 
आके सीढ़ियों पर गिर गया है आदमी।

चैन की तलाश में जिंदगी दौड़ता रहा, 
सच से हारकर गिर गया है आदमी। #InspireThroughWriting #hindiwriters #ghazal #tarunvijभारतीय #shayar #inspirational  Ashish Dwivedi Dr Ashish Vats