जन्नत की परी हो या स्वर्ग की अप्सरा बिना श्रृंगार तुम सादगी की मूरत हो जाने किस मिट्टी से कुदरत ने तुझे बनाया है इस जहाँ की हो या कोई चाँद उतर के आया है