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उम्र बढ़ती गई ,बढ़ता गया तजुर्बा बाल जरा सफेद भी हुए

उम्र बढ़ती गई ,बढ़ता गया तजुर्बा
बाल जरा सफेद भी हुए,
पर अंदर से किलकारी,
आज भी मारता  है एक बच्चा
के हम कभी बड़े ही नही हुए

दबा रखा है हमने खुद को,
बड़प्पन के बोझ तले,
पर शैतानियां करते है कभी कभी,
खुल के हंसते है कभी कभी,
कह दो जाके दुनिया से,
हम अभी बड़े नही हुए

नियम कायदों से बंधी
बड़ी नीरस है जिंदगी,
मन है चंचल कभी 
ठहरा ही नही,
मजबूर है भले बड़े होने को,
पर हमको है पता
हम कभी बड़े हुए नही

निभाएंगे हर फर्ज जिंदगी का,
झेलेंगे हर थपेड़ा वक्त का,
पर करेंगे इंतजार की
मुक्त करे हमको ये जीवन संग्राम
और फिर चीख कर कहेंगे
हम तो कभी
बड़े हुए ही नही

©आवेग #बड़ेनहीहुए
उम्र बढ़ती गई ,बढ़ता गया तजुर्बा
बाल जरा सफेद भी हुए,
पर अंदर से किलकारी,
आज भी मारता  है एक बच्चा
के हम कभी बड़े ही नही हुए

दबा रखा है हमने खुद को,
बड़प्पन के बोझ तले,
पर शैतानियां करते है कभी कभी,
खुल के हंसते है कभी कभी,
कह दो जाके दुनिया से,
हम अभी बड़े नही हुए

नियम कायदों से बंधी
बड़ी नीरस है जिंदगी,
मन है चंचल कभी 
ठहरा ही नही,
मजबूर है भले बड़े होने को,
पर हमको है पता
हम कभी बड़े हुए नही

निभाएंगे हर फर्ज जिंदगी का,
झेलेंगे हर थपेड़ा वक्त का,
पर करेंगे इंतजार की
मुक्त करे हमको ये जीवन संग्राम
और फिर चीख कर कहेंगे
हम तो कभी
बड़े हुए ही नही

©आवेग #बड़ेनहीहुए