मैं जैसा हूं मुझे वैसा ही रहने दो मुझे धीमे जल की भांति ही बहने दो मुझ पर बस इतनी कृपा करो मुझे ऐसा ही रहने दो मै बहुत सुन चुका हूं आज मुझे मेरी कहने दो तुम्हारी वो दिखावे की दुनिया मेरे बस की नहीं है खुद को जलाने वाली आधुनिकता क्या सच में सही है धूम्रपान वाले ट्रेंड की दुनिया से कितनो की बरबादी हुई है तुम कुछ भी मानते या कहते रहो पर इसकी सच्चाई यही है मुझे पता है कि इसे पढ़कर तुम मेरा मज़ाक बनाओगे कई सारी बातें कहकर मेरी खिल्लियां उड़ाओगे खुद हसोगे और अपने ही जैसे दोस्तो को हासाओगे पर शायद दोबारा मुझसे "ट्राय कर " कहने तो नहीं आओगे