न जाने कौन सी आग है जिसमे मैं जल रहा । न जाने कौन सी राह है जिसपे मैं चल रहा । होंगे और जो बनाते है अपनी पहचान भीड़ में पर मै इस बेमतलब की दुनिया से छुपने को । हर रोज खुद की ,पहचान बदल रहा ।